क्यों हल्ला मच रहा है कि Rishabh Pant टेस्ट टीम में नहीं होने चाहिए?




ऋषभ पंत चुन लिये गये टेस्ट मैच में बांग्लादेश के ख़िलाफ़ जो चेन्नई में इस माह की १९ तारीख़ को शुरू हो रहा है। आप कहोगे कि इसमें ताज्जुब की क्या बात है। ऋषभ पंत बेमिसाल हैं एक विकेटकीपर के रूप में इंडिया के लिये। 33 टेस्ट मैचों में पाँच सैकड़े मार चुके हैं। क़रीब क़रीब ४४ का औसत है। आप कहोगे इसमें क्या अजूबा है। अजूबा ये है कि पंत ने किन परिस्तिथियों में रन बनाये हैं, वो महत्वपूर्ण चीज़ है। ब्रिसबेन में पाँचवे दिन जब ३०० से ऊपर रन बनाने थे, और पैट कमीन्स,  मिशेल स्टार्क और जोश हज़्लेवुड जैसे उस ख़राब पिच पर गेंदबाज़ी कर रहे हों, वहाँ मैच ड्रा हो जाये, इससे ज़्यादा कोई नहीं सोचता। पर ऋषभ पंत ने ठानी की वो इंडिया की मैच जितायेंगे और उन्होंने किया भी वही। ऑस्ट्रेलिया में, उन्हीं की धरती में, उन्हीं को ठोंका पंत ने। इसलिए ये तो कभी मत कहिए कि ऋषभ पंत ने क्या तीर मारा है। फिर जब इंडिया ने T२० का वर्ल्ड कप इस साल जीता तब बात चली कि चलो ये तो ठीक है, पर टेस्ट मैचों के लिये अभी ध्रुव जुरैल ही ठीक है। देखो तो कितना अच्छा खेला था जुरैल इंग्लैंड के ख़िलाफ़ इस साल की शुरुआत में। जुरैल ने तीन टेस्ट मैचों में १९० रन बनाये थे। उनका सर्वाधिक स्कोर ९० का था। तीन टेस्ट मैचों में ही औसत ६३ का था। तो जुरैल को क्यों टीम से हटाया जाये क्यों ऋषभ पंत को रखा जाये। आख़िर ये भी तो साफ़ नहीं है कि चोट से उभरते ऋषभ पंत ९० ओवर की कीपिंग एक दिन की कर सकते हैं। चोट से उभरे हैं, ९० ओवर कीपिंग करना आसान नहीं होता। कैच छूट सकते हैं, स्टैंपिंग हाथ से निकल सकती है। पर ऋषभ पंत ने ये ग़लतफ़हमी भी इसी हफ़्ते दूर कर दी। दिलीप ट्रॉफी खेलते हुए, पंत ने एक पारी में सात कैच पकड़े। एक लेग स्टंप पर जो उन्होंने उड़ते हुए कैच पकड़ा उसे देख कर सबने दांतों तले उँगलियाँ दबा लीं। यानी पंत फिट ही नहीं, सुपर फिट। फिर आप इसको इस तरह से देखिए। इस सीजन में इंडिया १० टेस्ट मैच खेलेगी। न्यू ज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों से भिड़ंत हैं। ऐसे में पंत को टेस्ट मैच में रंवा होने का समय तो चाहिए। आप ऑस्ट्रेलिया जायें और पंत टीम में ना हों तो ऑस्ट्रेलिया का काम वैसे ही आसान हो जाएगा। पंत का ख़ौफ़ नहीं होगा तो ऑस्ट्रेलिया की टीम दूसरे ही अन्दाज़ में खेलेगी। पंत के बग़ैर टीम इंडिया भी उतनी दिलेरी नहीं दिखा पाएगी क्योंकि भरोसा नहीं होगा कि नीचे के बल्लेबाज़ कैसे खेलेंगे। अच्छा तो यहीं है कि ध्रुव जुरैल को टीम से जोड़े रखिए, उसे ऑस्ट्रेलिया भी लेकर जाये पर पंत को पीछे मत धकेले। पंत जैसे क्रिकेटर वर्ल्ड में कम ही हैं। और जिस तरह से इस बाँके रुड़की के बच्चे ने क्रिकेट में वापसी की है वो दिखाता है कि किस स्टील के बने हैं पंत। पंत अगली अक्तूबर ४ को २७ साल के हो जाएँगे। ये ऐसा क्रिकेटर है जो इंडिया को अगले १० साल तक अपनी सेवा दे सकता है। और इंडिया की कप्तानी भी कर सकता है। एक बहुमूल्य हीरा है ऋषभ पंत।